काँपता सा,
हवा की सरसरी से सहमा,
बिन हाड मांस, बीमार सा
अचानक की बौछार
और कभी बे-तुके ओलों से झेंपता,
ज़रा जिंदा रहता सा
तपती दोपहरों की राह बटोरता... जब न तो हवा चले न सड़कें,
हवा की सरसरी से सहमा
वोह बिन हाड मांस का पत्ता…
आज पाँच बजने के बारह ‘मिनट’ पहले
हल्का सा हिला
और टूट गिरा अपने एक बरस के पेड़ से…
वोह ‘मार्च’ का पत्ता,
सूखा, सिंकुरा, मुर्दा सा
छोड़ आया आज आसमान की ऊंचाई.
(March 19, 2007 1.48 am)
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अमलतास का गीत
वो अमलतास देखते हो? वो ना झूम कर बांहे फैलाये हवाओं की हथेलियों पर सूरज की छननी से ढ़ांप कर एक गीत भेजता है हर सुबह मेरी ओर. पर वो ग...
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Someone is trapped in my body. Or I am trapped in a body. This Someone, trapped in, keeps growing new wings every secret flash. And when I a...
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Said he - I am hungry … Can you hear the elephants rumbling in my stomach? And then he laughed… his eyes in a hurry to gather all the eviden...
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