वो अमलतास देखते हो?
वो ना
झूम कर
बांहे फैलाये
हवाओं की हथेलियों पर
सूरज की छननी से ढ़ांप कर
एक गीत
भेजता है हर सुबह
मेरी ओर.
पर
वो गीत कभी मेरे
फ़ोन के अनायास बजते गाने से
य़ा घर की ओंची आवाजों से घबरा कर
कभी मेरी रगों के शोर से
टकरा कर
एक उदास बच्चे की तरह लौट जाता है...
मैने सोचा है
कुछ और हो ना हो
उस गीत को गले लगाना है
उसके चेहरे को चूँम कर
उसके बिखरे बालों को सुलझाना है
और
उस के साथ खूब खेल कर
उसे हंस्ता हुआ लौटाना है
हर रोज.
बस.झूम कर
बांहे फैलाये
हवाओं की हथेलियों पर
सूरज की छननी से ढ़ांप कर
एक गीत
भेजता है हर सुबह
मेरी ओर.
पर
वो गीत कभी मेरे
फ़ोन के अनायास बजते गाने से
य़ा घर की ओंची आवाजों से घबरा कर
कभी मेरी रगों के शोर से
टकरा कर
एक उदास बच्चे की तरह लौट जाता है...
मैने सोचा है
कुछ और हो ना हो
उस गीत को गले लगाना है
उसके चेहरे को चूँम कर
उसके बिखरे बालों को सुलझाना है
और
उस के साथ खूब खेल कर
उसे हंस्ता हुआ लौटाना है
हर रोज.
बस.
No comments:
Post a Comment