चुप (SILENCE)
तुम, मैं और हमें कोसों दूर करते शब्द
गुच्छों में,
कभी अकेले,
बिर्हबान जंगल की रात से,
अधूरे, कटे से, मीठे, खट्टे, करारे और कड़वे…
और उनके बहुत से गुच्छे
हमें कोसों दूर करती बातें
बहुत सी बातें...
सुबह सुबह की धीमी, ओसी बातें
रात की दबी दबी सी चुपकी सी बातें
और सारे दिन और पहरों को भरती बातें
हमें कोसों दूर करतीं हजारों हजारों बातें.
घड़ी, दौड़ और काम
रोटी, पैसा और नाम
और न जाने... तुम्हें और मुझे दूर करतीं कितनी बातें.
चलो आज सब को पार कर जाएँ
तुम और मैं चुप हो जाएँ.
March 19, 2007, 12.56 am
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